Sunday, June 23, 2019

Maundeshwari

मां मुंडेश्वरी धाम परिसर में आयोजित दो दिवसीय मुंडेश्वरी महोत्सव का भव्य आगाज रविवार की शाम होगा।...

 मां मुंडेश्वरी धाम परिसर में आयोजित दो दिवसीय मुंडेश्वरी महोत्सव का भव्य आगाज रविवार की शाम होगा। इसमें बाहर से आए नामचीन कलाकार व स्थानीय कलाकार मंच को साझा करेंगे। महोत्सव की तैयारी को लेकर प्रशासनिक महकमा लगा हुआ है। मंच बनकर तैयार है अब सिर्फ कलाकारों का इंतजार है।

महोत्सव को सफल बनाने के लिए गुरुवार की शाम डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी व धार्मिक न्यास समिति के सचिव अशोक सिंह सहित कई पदाधिकारियों ने मुंडेश्वरी पर्यटक भवन में बैठक की। महोत्सव को सफल बनाने के लिए स्वागत समिति आवासन समिति एवं सुरक्षा समिति की व्यवस्था के संबंध में समिति से जुड़े लोगों को अपने अपने कर्तव्य का पालन करने की बात कही गई। बैठक में माता मुंडेश्वरी धाम का दिव्य सजावट व मंच की तैयारी समुचित प्रकाश पेयजल की व्यवस्था आदि बिदुओं पर चर्चा की गई। साथ ही दी गई जिम्मेदारी पर सतर्क रहने की भी बात कही गई। मंच पर प्रकाश की व्यवस्था काफी अच्छी है इसके लिए आकर्षक लाइटों को लगाया गया है। दो जून की शाम छह बजे जिला प्रभारी मंत्री संतोष कुमार निराला महोत्सव का उद्घाटन करेंगे। गायिका मैथिली ठाकुर अपनी प्रस्तुति देंगी। तीन जून को पूर्णिमा श्रेष्ठा एवं हास्य कलाकार रविद्र जॉनी की प्रस्तुति होगी। बता दें कि महोत्सव के अवसर पर मुंडेश्वरी धाम जाने वाली सीढ़ी मार्ग, मंदिर परिसर व मंदिर को भी आकर्षक पुष्प से सजाया जाएगा। विधि व्यवस्था बेहतर रहे इसके लिए 150 से अधिक पुलिस जवानों को व पदाधिकारियों के अलावा समिति की तरफ से कई लोग भी तैनात रहेंगे। इस मौके पर सासाराम सांसद छेदी पासवान, बक्सर सांसद अश्विनी कुमार चौबे, पूर्व सभापति बिहार विधान परिषद अवधेश नारायण सिंह, विधान पार्षद संतोष कुमार सिंह, विधायक रामगढ़ अशोक कुमार सिंह, विधायक मोहनियां निरंजन राम, विधायक भभुआ रिकी रानी पांडेय, मंत्री सह विधायक चैनपुर बृजकिशोर बिद, अध्यक्ष जिला परिषद कैमूर विशंभर नाथ सिंह उर्फ वकील यादव के अलावा अन्य लोग शिरकत करेंगे।


Maamundeshwari.org


Wednesday, June 5, 2019

एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर, सोलन, हिमाचल प्रदेश।🚩

🚩एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर, सोलन, हिमाचल प्रदेश।🚩

🚩39 साल में बना यह अद्भुत शिव मंदिर, यहां पत्थर को थपथपाने पर आती है डमरू जैसी ध्वनि 🚩🕉️⛺🔔 .🚩
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🚩कला का बेजोड़ नमूना है हिमाचल प्रदेश के सोलन में स्थित जटोली शिव मंदिर। इसे एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है। मंदिर की ऊंचाई 111 फुट है । मंदिर दक्षिण-द्रविड़ शैली से बना है। मंदिर को बनने में ही करीब 39 साल का समय लगा। जटोली मंदिर के पीछे मान्यता है कि पौराणिक समय में भगवान शिव यहां आए और कुछ समय यहां रहे थे। बाद में एक सिद्ध बाबा स्वामी कृष्णानंद परमहंस ने यहां आकर तपस्या की। उनके मार्गदर्शन और दिशा-निर्देश पर ही जटोली शिव मंदिर का निर्माण  हुआ। .
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मंदिर में कला और संस्कृति का अनूठा संगम देखने को मिलता है। -मंदिर की ऊंचाई 111 फुट है और भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार यह मंदिर एशिया के सबसे ऊंचे मंदिरों में शामिल है।🚩
      🚩🙏  जय शिवशक्ति, जय श्री गणेश🚩🙏




Wednesday, May 29, 2019

हनुमान चालीसा दृत्या पार्ट

🍎🍎जय श्री सीताराम जी 🍎🍎
⚅⚅♻♻⚅⚅♻♻⚅⚅

(पिछली पोस्ट से आगे)

महावीर     विक्रम     बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।

        श्री हनुमान जी वीर नहीं महावीर हैं। वज्र की तरह जिनकी दिव्य देह है। उन बजरंगबली में अमित विक्रम, पराक्रम है और वे कुमति का हरण करने वाले तथा सुमति का समर्थन करने वाले हैं।

        कुमति को हटाना और सुमति को बढ़ाना श्री हनुमान जी का ही कार्य है । पर आप पूछेंगे कि यह सुमति और कुमति कहाँ रहती हैं? तो उत्तर है -- विभीषण जी ने कहा है।

सुमति कुमति सबके उर रहहीं।
नाथ पुरान निगम अस कहहीं ।।

          सुमति और कुमति सबके हृदय में रहते हैं। यह अद्भुत संकेत है । किसी किसी के हृदय में रहते हों, ऐसा नहीं है। सबके उर रहहीं और श्री तुलसीदास जी कहते हैं --- मेरे द्वारा जो यह कहा गया है, यही वेद, शास्त्र और अनुभवी पुरुषों ने कहा है। नाथ पुरान निगम अस कहहीं। यह श्रुति सम्मत है, पुराण सम्मत है । सबके हृदय में सुमति और कुमति का निवास है।

        यह कह देने से एक लाभ यह होता है कि व्यक्ति हीनभाव से नहीं भरता कि मुझमें भी कुमति आ गई । वह सोचता है कि सबके साथ ऐसा होता है तो मेरे साथ भी ऐसा हुआ तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है । एक तो यह लाभ, और दूसरा, हीन भाव तो रहेगा पर अभिमान नहीं होगा कि कुमति दूसरे में ही रहती होगी, मुझमें नहीं रहती। और कहा जा रहा है -- सबके उर रहहीं। इसीलिए यह सुमति और कुमति सबके हृदय में हैं। इस दृष्टि से सब समान हैं, पर थोड़ा और  सूक्ष्म ढंग से हम लोग विवेचन करें कि सबके हृदय में सुमति और कुमति रहते हैं। तो कभी सुमति प्रबल होती होगी, कभी कुमति प्रबल होती होगी। जैसे कभी रात आती है कभी दिन आता है ।

काल कर्म वश होहिं गोसाईं।
बरबस रात दिवस की नाईं।।

         तो हम यह कैसे जानें कि अभी हमारे हृदय में कुमति प्रधान  है या सुमति प्रधान है। यह जानें कैसे? यह तो ठीक है कि सुमति कुमति सबके हृदय में रहते हैं, पर हम जानेंगे कैसे?  बड़ा सुंदर उत्तर है। विभीषण जी ने कहा -- रावण !

तव उर कुमति बसी विपरीता।
हित अनहित मानहु रिपु प्रीता।।

         कुमति हमारे हृदय में कब प्रधान रूप लेकर आ गई है? कैसे जानेंगे? तो इसका उत्तर है  कि अपने हितैषी जब शत्रु लगने लगें और अनहित करने वाले मित्र लगने लगें -- हित अनहित मानहु रिपु प्रीता। जो हमारे हित की बात कह रहे हैं, जो हमारे हितैषी हैं, वे हमें शत्रु लगने लगें। और जो हमारे जीवन को नष्ट करने वाले हैं वे हमें प्रिय लगने लगें तो समझ लो कुमति आ गई ।

         अब ऐसी दशा में आदमी सही निर्णय नहीं कर पाता। वह अपने साधना पथ से विमुख हो जाता है, भटक जाता है । तो ऐसे भटकाव के क्षण अगर जीवन में आये,  तो किसका आश्रय लें?

         कुमति आ गई और कुमति के कारण हम समझकर भी नहीं समझ पाते ,क्योंकि प्रभाव कुमति का है । हमारे गुरुदेव कहते थे कि --

जब आते अच्छे दिन तो अच्छी बात सुहाती।
नाहीं तो समझाने पर भी नहीं समझ में आती।।

         अच्छा बोलो, विभीषण जी ने कितना समझाया रावण को? अंत में उन्होंने कहा कि मेरा उपदेश तुम पर काम नहीं कर रहा। कहा क्यों?  कहा -- औषधि रोग को मिटा सकती है, मौत को नहीं । तो यह उपदेश की औषधि काम तो करती है, लेकिन औषधि काम करती है रोग पर, मृत्यु पर नहीं ।

हित मत तोहि न लागत कैसे।
काल विवश कहँ भेषज जैसे।।

        जो काल के वश में है,  उस पर दवा काम नहीं करती। इसी तरह कुमति का कुप्रभाव कुसमय के कारण जिसके मन पर हो, उस पर उपदेश की औषधि काम नहीं करती।

          रावण को समझाने वाले हार गये, क्योंकि- - तव उर कुमति बसी बिपरीता। तब हम लोगों को निराशा हाथ लगती है कि यदि कुमति प्रबल हो गई हमारे हृदय में,  तब तो हमें कोई भी सुखी नहीं कर सकेगा।

           पर श्री तुलसीदास जी कहते हैं कि निश्चिंत रहो, अगर ऐसी दशा भी आ जाये तो एक हैं जिनका आश्रय लेने से कुमति हट जायेगी और सुमति की स्थापना हो जायेगी। कहा -- ऐसा पराक्रम किसका है? तब कहा ---

महावीर    विक्रम     बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।

         वे कुमति का निवारण करके सुमति की स्थापना कर देते हैं। तो यह असम्भव काम हनुमान जी के द्वारा सम्भव हो जाता है? -•••••हाँ।

(क्रमशः)
(स्वामी श्री राजेश्वरानंद जी महाराज)

Monday, May 13, 2019

अत्याचार और ब्राम्हण में संबंध

ब्राम्हण और अत्याचार
Edited by ✍️:– saurabh pandey


 त्रेता युग में क्षत्रियों का शासन था ! महाभारत काल मे यादव क्षत्रियों का शासन था !
उसके बाद दलित . मौर्य और बौद्धो का राज था !
उसके बाद 1200 साल मुसलमान बादशाह (अरबी लुटेरों) का राज था
फिर 300 साल अंग्रेज राज था,
पिछले 67 वर्षों से अंबेडकर का संविधान राजकाज चला रहा है़।

लेकिन फिर भी सब पर अत्याचार ब्राहमणों द्वारा किया गया... अमेजिंग ।

मूर्खता की कोई सीमा नही!!

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ब्राह्मण

ब्राह्मणों को गाली देना, कोसना, उन्हें कर्मकांडी, पाखंडी, लालची, भ्रष्ट, ढोंगी जैसे विशेषणों के द्वारा अपमानित करना आजकल ट्रेंड में है। कुछ लोग ब्राह्मणों को सबक सिखाना चाहते हैं, कुछ उनसे तलवे चटवाना चाहते हैं, कुछ स्वघोषित तरीके से उनके दामाद बन जाना चाहते हैं, कुछ उन्हें मंदिरों से बाहर कर देना चाहते हैं.. वगैरह-वगैरह।

कुछ कथित रूप से पिछड़े लोगों को लगता है कि ब्राह्मणों की वजह से ही वो 'पिछड़े' रह गये, दलितों की अपनी दलीलें हैं, कभी-कभी अन्य जातियों के लोगों के श्रीमुख से भी इस तरह की बातें सुनने को मिल जाती हैं। आमतौर से ये धारणा बनाई जा रही है कि ब्राह्मणों की वजह से समाज पिछड़ा रह गया, लोग अशिक्षित रह गये, समाज जातियों में बंट गया, देश में अंधविश्वासों को बढ़ावा मिला.. वगैरह-वगैरह।

आज, ऐसे सभी माननीयों को हृदय से धन्यवाद देते हुए मैं आपको जवाब दे रहा हूं... और याद रहे- ये एक ब्राह्मण का जवाब है... इस वैधानिक चेतावनी के साथ कि मैं किसी प्रकार की जातीय श्रेष्ठता में विश्वास नहीं रखता।       

लेकिन आप जान लीजिये- वो कौटिल्य जिसने संपूर्ण मगध साम्राज्य को संकटों से मुक्ति दिलाई, देश में जनहितैषी सरकार की स्थापना कराई, भारत की सीमाओं को ईरान तक पहुंचा दिया और कालजयी ग्रन्थ 'अर्थशास्त्र' की रचना की (जिसे आज पूरी दुनिया पढ़ रही है) वो कौटिल्य ब्राह्मण थे।

आदि शंकराचार्य जिन्होंने संपूर्ण हिंदू समाज को एकता के सूत्र में बांधने के प्रयास किये, 8वीं सदी में ही पूरे देश का भ्रमण किया, विभिन्न विचारधाराओं वाले तत्कालीन विद्वानों-मनीषियों से शास्त्रार्थ कर उन्हें हराया, देश के चार कोनों में चार मठों की स्थापना कर हर हिंदू के लिए चार धाम की यात्रा का विधान किया, जिससे आप इस देश को समझ सकें। वो शंकराचार्य ब्राह्मण थे।

आज कर्नाटक के जिन लिंगायतों को कांग्रेसी हिंदूओं से अलग करना चाहतें हैं, उनके गुरु और लिंगायत के संस्थापक- बसव- भी ब्राह्मण थे।

भारत में सामाजिक-वैचारिक उत्थान, विभिन्न जातियों की समानता, छुआछूत-भेदभाव के खिलाफ समाज को एक करने वाले भक्ति आंदोलन के प्रमुख संत रामानंद, (जो केवल कबीर के ही नहीं बल्कि संत रैदास के भी गुरु थे) ब्राह्मण थे। आज दिल्ली में जिस भव्य अक्षरधाम मंदिर के दर्शन करके दलितों समेत सभी जातियों के लोग खुद को धन्य मानते हैं, उस मंदिर की स्थापना करने वाला स्वामीनारायण संप्रदाय है जिसके जनक घनश्याम पांडेय भी ब्राह्मण थे।

वक्त के अलग-अलग कालखंड में हिंदू समाज में व्याप्त हो चुकी बुराईयों को दूर करने के लिए 'आर्य समाज' व 'ब्रह्म समाज' के रूप में जो दो बड़े आंदोलन देश में खड़े हुए, इन दोनों के ही जनक क्रमश: स्वामी दयानंद सरस्वती व राजा राममोहन राय (जिन्होंने हमें सती प्रथा से मुक्ति दिलाई) ब्राह्मण थे। भारत में विधवा विवाह की शुरुआत कराने वाले ईश्वरचंद्र विद्यासागर भी ब्राह्मण थे। इन सभी संतों ने जाति-पांति, छुआछूत, भेदभाव के खिलाफ समाज को जागरुक करने में अपना जीवन खपा दिया- लेकिन समाज नहीं सुधरा।
 
क्षत्रिय वंश के राजा श्रीराम की महिमा को 'रामचरित मानस' के जरिये घर-घर में पहुंचाने वाले तुलसीदास और ब्रज क्षेत्र में यदुवंशी राजा श्रीकृष्ण की भक्ति की लहर पैदा करने वाले वल्लभाचार्य भी ब्राह्मण थे। ये भी याद रखिये- मंदिरों में ब्राह्मणों का वर्चस्व था, जैसा कि आप लोग कहते हैं, फिर भी भारत में भगवान परशुराम (ब्राह्मण) के मंदिर सामान्यत: नहीं मिलते। ये है ब्राह्मणों  की भावना।

विदेशी आधिपत्य के खिलाफ सबसे पहले विद्रोह का बिगुल बजाने संन्यासियों में से अधिकांश लोग ब्राह्मण थे। अंग्रेजों की तोपों के सामने सीना तानने वाले मंगल पांडेय, रानी लक्ष्मीबाई, अंग्रेज अफसरों के लिए दहशत का पर्याय बन चुके चंद्रशेखर आजाद, फांसी के फंदे पर झूलने वाले राजगुरु - ये सभी ब्राह्मण थे।

वंदेमातरम जैसी कालजयी रचना से पूरे देश में देशभक्ति का ज्वार पैदा करने वाले बंकिमचंद्र चटर्जी, जन-गण-मन के रचयिता रविंद्र नाथ टैगोर ब्राह्मण, देश के पहले आईएएस (तत्कालीन ICS) सत्येंद्रनाथ टौगोर भी ब्राह्मण। स्वतंत्रता आंदोलन के नायक गोपालकृष्ण गोखले (गांधी जी के गुरु), बाल गंगाधर तिलक, राजगोपालाचारी ब्राह्मण। भारत के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्रियों में अटल बिहारी वाजपेयी भी ब्राह्मण।
       
नेहरु सरकार से त्यागपत्र देने वाले पहले मंत्री जिन्होंने पद की बजाय जनहित के लिए संघर्ष का रास्ता चुना और कश्मीर के सवाल पर अपने प्राणों की आहुति दी- वो डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी ब्राह्मण। बीजेपी के सबसे बड़े सिद्धांतकार पंडित दीनदयाल उपाध्याय, बीजेपी नेता  मुरली मनोहर जोशी- ये सभी ब्राह्मण।

हिंदू समाज की एकता, जातिविहीन समाज की स्थापना और सांस्कृतिक गौरव की पुनर्स्थापना के लिए खड़ा हुआ दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ- की नींव एक गरीब ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखने वाले पूज्य डॉ. हेडगेवार जी ने डाली थी। उन्होंने अपने खून का कतरा-कतरा हिंदूओं को ताकत देने और उन्हें एकसूत्र में पिरोने में खपा दिया, केवल ब्राह्मणों की चिंता नहीं की। संघ के दूसरे सरसंघचालक- डॉ. गोलवलकर- जिन्होंने संपूर्ण हिंदू समाज को ताकत देने के लिए सारा जीवन समर्पित कर दिया- वो भी ब्राह्मण।
यही नहीं, देश में पहली कम्यूनिस्ट सरकार केरल में बनाने वाले नंबूदरीपाद समेत मार्क्सवादी आंदोलन के कई प्रमुख रणनीतिकार ब्राह्मण ही थे। समकालीन नेताओं की बात करें तो तमिलनाडु में जयललिता ब्राह्मण थीं, 

मायावती, जिन्होंने 'तिलक-तराजू और तलावर, इनको मारो जूते चार' जैसा अपमानजनक नारा बार-बार लगवाया, उन पर जब लखनऊ के गेस्ट हाउस में सपा के गुंडों ने जानलेवा हमला किया, उन्हें मारा-पीटा, उनके कपड़े फाड़े, और शायद उनकी हत्या करने वाले थे, उस समय जान पर खेलकर उन गुंडों से लड़ने वाले और मायावती को सुरक्षित वहां से निकालने वाले स्वर्गीय ब्रह्मदत्त द्विवेदी भी ब्राह्मण थे।

जिस लता मंगेशकर की आवाज को ये देश सम्मोहित होकर सुनता रहा और जिस सचिन तेंदुलकर के हर शॉट पर प्रत्येक जाति का युवा ताली बजाकर खुश होता रहा - ये दोनों ही ब्राह्मण।

फिर भी, जिन्हें लगता है कि ब्राह्मण केवल मंदिर में घंटा बजाना जानता है- वो ये भी जान लें कि भारत के इतिहास का सबसे महान घुड़सवार योद्धा और सेनानायक- जो 20 साल के अपने राजनीतिक जीवन में कभी कोई युद्ध नहीं हारा, जिसने मुस्लिम शासकों के आंतक से कराहते देश में भगवा पताकाओं को चारों दिशाओं में लहरा दिया और जिसे बाजीराव-मस्तानी फिल्म में देखकर आपने भी तालियां ठोंकी होंगी, - वो बाजीराव बल्लाल भी ब्राह्मण था। 

तो ब्राह्मणों को कोसने वाले इतिहास को ठीक से पढ़ लो.. शायद तुमसे भी पहले तुम्हारे हक के लिए अगर कोई लड़ा, अगर किसी ने संघर्ष किया, अगर किसी ने बलिदान दिया- तो वो ब्राह्मण ही था.

ब्राम्हण को सम्मान दो


सम्मान
Edited by_✍️saurabh pandey

हमारे गुरु जी ने कहा हे?

बनिया धन का भूखा होता है।
क्षत्रिय खून का प्यासा होता है।
दलित अन्न का भूखा होता है।
पर ब्राम्हण?
साहब ब्राम्हण सम्मान का भूखा होता है।
ब्राम्हण को सम्मान दे दो वो तुम्हारे लिऐ
जान देने को तैयार हो जाऐगा।
अरे दुनिया वालो आजमाकर
तो देखो हमारी दोस्ती को।
मुसलमान अशफाक उल्ला खान बनकर हाथ
बढ़ाता है,हम बिस्मिल बनकर गले लगा लेते है।
क्षत्रिय चंद्रगुप्त बनकर पैर छू लेता है,हम
चाणक्य बनकर पूरा भारत जितवा देते है।
सिख भगत सिह बनकर हमारे पास आता है।
हम चंद्रशेखर आजाद बनकर उसे बेखौफ
जीना सिखा देते है।
कोई वैश्य गाधी बनकर हमे गुरु मान लेता है हम
गोपाल कृष्ण गोखले बनकर उसे
महात्मा बना देते है।
और
कोई शूद्र शबरी बनकर हमसे वर मागता है,
तो हम उसे भगवान से मिलवा देते है।
अरे एक बार सम्मान तो देकर देखो हमें...........
........ फर्ज न अदा करे तो कहना
जय जय राम!!जय जय परशुराम!!

--  पुराणों में कहा गया है -

     विप्राणां यत्र पूज्यंते रमन्ते तत्र देवता ।

  जिस स्थान पर ब्राह्मणों का पूजन हो वंहा देवता भी निवास करते हैं अन्यथा ब्राह्मणों के सम्मान के बिना देवालय भी शून्य हो जाते हैं । इसलिए

   ब्राह्मणातिक्रमो नास्ति विप्रा वेद विवर्जिताः ।।

  श्री कृष्ण ने कहा - ब्राह्मण यदि वेद से हीन भी तब पर भी उसका अपमान नही करना चाहिए । क्योंकि तुलसी का पत्ता क्या छोटा क्या बड़ा वह हर अवस्था में कल्याण ही करता है ।

  ब्राह्मणोंस्य मुखमासिद्......

   वेदों ने कहा है की ब्राह्मण विराट पुरुष भगवान के मुख में निवास करते हैं इनके मुख से निकले हर शब्द भगवान का ही शब्द है, जैसा की स्वयं भगवान् ने कहा है की

   विप्र प्रसादात् धरणी धरोहम
   विप्र प्रसादात् कमला वरोहम
   विप्र प्रसादात्अजिता$जितोहम
   विप्र प्रसादात् मम् राम नामम् ।।

   ब्राह्मणों के आशीर्वाद से ही मैंने धरती को धारण कर रखा है अन्यथा इतना भार कोई अन्य पुरुष कैसे उठा सकता है, इन्ही के आशीर्वाद से नारायण हो कर मैंने लक्ष्मी को वरदान में प्राप्त किया है, इन्ही के आशीर्वाद से मैं हर युद्ध भी जीत गया और ब्राह्मणों के आशीर्वाद से ही मेरा नाम "राम" अमर हुआ है, अतः ब्राह्मण सर्व पूज्यनीय है । और ब्राह्मणों का अपमान ही कलियुग में पाप की वृद्धि का मुख्य कारण है ।

  - किसी में कमी निकालने की अपेक्षा किसी में से कमी निकालना ही ब्राह्मण का धर्म है, 

             
समस्त ब्राह्मण सम्प्रदाय को समर्पित🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

कर्म_ही_दौलत_से_बड़े_हैं। Pravachan

-- #कर्म_ही_दौलत_से_बड़े_हैं ------
Edited by-आदर्श पांडेय शिवम्

एक बार कर्म और दौलत में बहस हो गई।

दौलत कहती है- मैं बड़ी हूं और किसी को भी‌ कुछ भी बना सकती हूं।

कर्म कहता है- मेरे बिना दौलत किसी भी काम की नहीं है।

दौलत कहती है- चलो! देखते हैं कि कौन बड़ा है।

कर्म भी मान गया और दोनों चल पड़े।

जंगल में एक बहुत ही गरीब आदमी लकड़ी काट रहा था।
दौलत उसके पास गई और एक थैली सोने की मोहरों की उस गरीब आदमी को दी और चली गई।

वो गरीब आदमी बहुत ही खुश हुआ और अपने‌ घर को‌ चल पड़ा।
घर पहुंचा तो घर के गेट का दरवाजा बंद था।
उसने वो थैली दीवार पर रखी और दरवाजा खोलने लगा।
दरवाजा खुलते ही वो अन्दर चला गया और‌ मोहरों की थैली दीवार पर ही भूल गया।

वो मोहरें पड़ोसी ने उठा लीं।

अगले दिन फिर वो गरीब आदमी लकड़ी काटने चला‌ गया।
दौलत फिर उसके पास गई और उसको एक हीरा दिया और चली गई।
उसने हीरा जेब में डाला और चल पड़ा।
रास्ते में उसको बहुत प्यास लगी।
वो एक झरने के किनारे बैठकर पानी पीने लगा,
तो हीरा जेब से निकल कर झरने मे गिर गया और एक मछली के पेट में चला गया।
वो आदमी उदास होकर घर चला गया।

अगले दिन फिर वो लकड़ी काटने चला गया।

अब कर्म ने दौलत से कहा- तुमने दो बार कोशिश की है और अब मैं कोशिश करता हूं।
देखना! कैसे इसके नसीब खुलते हैं।

कर्म ने उस गरीब आदमी को दो पैसे दिए और चला गया।

वो गरीब आदमी बहुत ही खुश हुआ और अपने घर को चल पड़ा।
रास्ते में वो सोचता है कि दाल से तो रोटी रोज‌ ही खाते हैं,
आज मछली से खाते हैं।
उसने बाजार से एक मछली खरीदी और घर जाकर जब मछली काटी तो उसमें से वही हीरा‌ निकला।
हीरा देखकर वो बहुत ही खुश हुआ और चिल्लाने लगा- मिल गया! मिल गया।

उधर उसके पड़ोसी ने सुना और सोचा कि इसे पता चल गया है कि वो मोहरों की थैली मेरे पास‌ है।
उसने फटाफट वो थैली उस आदमी के घर फैंक‌ दी।

अब उस गरीब आदमी को वो थैली भी मिल गई।
वो बहुत ही खुश हुआ और परमात्मा का शुक्र किया।

कर्म जीत गया और दौलत हार गई।

सो हमें भी हमेशा अच्छे कर्म ही करने चाहिए.......
🙏जय🙏श्री राम जय🙏जरंग बल🙏


जिस मानव में अहंकार होता है वह कभी आगे नहीं बढ़ पाता: श्री जीयर स्वामी जी

जिस मानव में अहंकार होता है वह कभी आगे नहीं बढ़ पाता: श्री जीयर स्वामी जी


रोहतास जिले के बिक्रमगंज अनुमंडल अंतर्गत काराकाट प्रखंड क्षेत्र के   संसार  डेहरी गांव में चौथे दिन प्रवचन के दौरान अपने श्री मुख से स्वामी जी महाराज ने   श्रद्धालुओं को प्रवचन के दौरान कहा गया कि मानव को  अहंकार नहीं करना चाहिए | जो मानव थोड़ी थोड़ी बातों  पर अहंकार कर लेता है   वह मानव कदापि  आगे नहीं बढ़ पाता है | अहंकार रूपी जीवन जीने से  कभी भी मानव  आगे की ओर नहीं बढ़ सकता है | उन्होंने श्रद्धालुओं से कहां कि किसी भी मानव को  कोई भी परिस्थिति आ जाए  उस व्यक्ति को कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए | जिस व्यक्ति को अहंकार हो जाता है  तो वह व्यक्ति हमेशा पीछे ही रह जाता है | उसका विकास हमेशा हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है | इसलिए कहा गया है कि मानव को किसी भी परिस्थिति में किसी को अहंकार नहीं करना चाहिए | क्योंकि श्रीमन नारायण को भोजन विशेष कोई भी वस्तु ग्रहण नहीं करते हैं |  जिस व्यक्ति में  अहंकार हो जाता है प्रभु श्री हरी वहीं अहंकार को भोजन के रूप में  ग्रहण कर लेते हैं | इसलिए मानव को कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए | उन्होंने कहा कि अनीति  रू प  से कमाया हुआ धन   कभी भी किसी भी मानव के पास  सही रूप से नहीं टिक पाती है | जो  मानव नीति रूप से   संपति का  उपार्जन  करता है | वहीं मानव  सुखी रूप से जीवन को व्यतीत करता है |
Jai shri Lakshmi Narayana

Maundeshwari

मां मुंडेश्वरी धाम परिसर में आयोजित दो दिवसीय मुंडेश्वरी महोत्सव का भव्य आगाज रविवार की शाम होगा।...  मां मुंडेश्वरी धाम परिसर में आयोजित...