जिस मानव में अहंकार होता है वह कभी आगे नहीं बढ़ पाता: श्री जीयर स्वामी जी
रोहतास जिले के बिक्रमगंज अनुमंडल अंतर्गत काराकाट प्रखंड क्षेत्र के संसार डेहरी गांव में चौथे दिन प्रवचन के दौरान अपने श्री मुख से स्वामी जी महाराज ने श्रद्धालुओं को प्रवचन के दौरान कहा गया कि मानव को अहंकार नहीं करना चाहिए | जो मानव थोड़ी थोड़ी बातों पर अहंकार कर लेता है वह मानव कदापि आगे नहीं बढ़ पाता है | अहंकार रूपी जीवन जीने से कभी भी मानव आगे की ओर नहीं बढ़ सकता है | उन्होंने श्रद्धालुओं से कहां कि किसी भी मानव को कोई भी परिस्थिति आ जाए उस व्यक्ति को कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए | जिस व्यक्ति को अहंकार हो जाता है तो वह व्यक्ति हमेशा पीछे ही रह जाता है | उसका विकास हमेशा हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है | इसलिए कहा गया है कि मानव को किसी भी परिस्थिति में किसी को अहंकार नहीं करना चाहिए | क्योंकि श्रीमन नारायण को भोजन विशेष कोई भी वस्तु ग्रहण नहीं करते हैं | जिस व्यक्ति में अहंकार हो जाता है प्रभु श्री हरी वहीं अहंकार को भोजन के रूप में ग्रहण कर लेते हैं | इसलिए मानव को कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए | उन्होंने कहा कि अनीति रू प से कमाया हुआ धन कभी भी किसी भी मानव के पास सही रूप से नहीं टिक पाती है | जो मानव नीति रूप से संपति का उपार्जन करता है | वहीं मानव सुखी रूप से जीवन को व्यतीत करता है |
Jai shri Lakshmi Narayana
रोहतास जिले के बिक्रमगंज अनुमंडल अंतर्गत काराकाट प्रखंड क्षेत्र के संसार डेहरी गांव में चौथे दिन प्रवचन के दौरान अपने श्री मुख से स्वामी जी महाराज ने श्रद्धालुओं को प्रवचन के दौरान कहा गया कि मानव को अहंकार नहीं करना चाहिए | जो मानव थोड़ी थोड़ी बातों पर अहंकार कर लेता है वह मानव कदापि आगे नहीं बढ़ पाता है | अहंकार रूपी जीवन जीने से कभी भी मानव आगे की ओर नहीं बढ़ सकता है | उन्होंने श्रद्धालुओं से कहां कि किसी भी मानव को कोई भी परिस्थिति आ जाए उस व्यक्ति को कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए | जिस व्यक्ति को अहंकार हो जाता है तो वह व्यक्ति हमेशा पीछे ही रह जाता है | उसका विकास हमेशा हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है | इसलिए कहा गया है कि मानव को किसी भी परिस्थिति में किसी को अहंकार नहीं करना चाहिए | क्योंकि श्रीमन नारायण को भोजन विशेष कोई भी वस्तु ग्रहण नहीं करते हैं | जिस व्यक्ति में अहंकार हो जाता है प्रभु श्री हरी वहीं अहंकार को भोजन के रूप में ग्रहण कर लेते हैं | इसलिए मानव को कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए | उन्होंने कहा कि अनीति रू प से कमाया हुआ धन कभी भी किसी भी मानव के पास सही रूप से नहीं टिक पाती है | जो मानव नीति रूप से संपति का उपार्जन करता है | वहीं मानव सुखी रूप से जीवन को व्यतीत करता है |
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