कैसे बने भैरव बाबा काशी के कोतवाल, जानिए पूरी कहानी
1/6काल भैरव ने काट दिया ब्रह्माजी का पांचवां मुख
काल भैरव के काशी में स्थापित होने के पीछे एक बहुत ही रोचक पौराणिक कथा है। एक बार ब्रह्माजी और विष्णुजी के बीच यह चर्चा छिड़ गई कि दोनों में बड़ा कौन है? चर्चा के बीच शिवजी का जिक्र आने पर ब्रह्माजी के पांचवें मुख ने शिव की आलोचना कर दी, जिससे शिव बहुत क्रुद्ध हुए। उसी क्षण भगवान शिव के क्रोध से काल भैरव का जन्म हुआ। इसी कारण काल भैरव को शिव का अंश कहा जाता है। काल भैरव ने शिवजी की आलोचना करनेवाले ब्रह्माजी के पांचवें मुख को अपने नाखुनों से काट दिया।
काल भैरव के काशी में स्थापित होने के पीछे एक बहुत ही रोचक पौराणिक कथा है। एक बार ब्रह्माजी और विष्णुजी के बीच यह चर्चा छिड़ गई कि दोनों में बड़ा कौन है? चर्चा के बीच शिवजी का जिक्र आने पर ब्रह्माजी के पांचवें मुख ने शिव की आलोचना कर दी, जिससे शिव बहुत क्रुद्ध हुए। उसी क्षण भगवान शिव के क्रोध से काल भैरव का जन्म हुआ। इसी कारण काल भैरव को शिव का अंश कहा जाता है। काल भैरव ने शिवजी की आलोचना करनेवाले ब्रह्माजी के पांचवें मुख को अपने नाखुनों से काट दिया।
2/6भैरव को लगा ब्रह्म हत्या का दोष
अब यह मुख उनके हाथ से अलग नहीं हो रहा था। तभी शिवजी प्रकट हुए। उन्होंने भैरव से कहा कि अब तुम्हें ब्रह्म हत्या का दोष लग चुका है और इसकी सजा यह है कि तुम्हें एक सामान्य व्यक्ति की तरह तीनों लोकों का भ्रमण करना होगा। जिस स्थान पर यह शीश तुम्हारे हाथ से छूट जाएगा, वहीं पर तुम इस पाप से मुक्त हो जाओगे।
अब यह मुख उनके हाथ से अलग नहीं हो रहा था। तभी शिवजी प्रकट हुए। उन्होंने भैरव से कहा कि अब तुम्हें ब्रह्म हत्या का दोष लग चुका है और इसकी सजा यह है कि तुम्हें एक सामान्य व्यक्ति की तरह तीनों लोकों का भ्रमण करना होगा। जिस स्थान पर यह शीश तुम्हारे हाथ से छूट जाएगा, वहीं पर तुम इस पाप से मुक्त हो जाओगे।
3/6ब्रह्म हत्या नामक कन्या भैरव के पीछे पड़ गई
4/6भैरव निकल पड़े तीनों लोक मुक्ति पाने के लिए
5/6यहां छूटा भैरव के हाथ से ब्रह्म शीश
काशी शिव की नगरी है, जहां वह बाबा विश्वनाथ के रूप में नगर के राजा के तौर पर पूजे जाते हैं। यहां गंगा के तट पर पहुंचते ही भैरव बाबा के हाथ से ब्रह्माजी का शीश अलग हो गया और भैरव बाबा को ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिली। काल भैरव के पाप मुक्त होते ही वहां शिवजी प्रकट हुए और उन्होंने काल भैरव को वहीं रहकर तप करने का आदेश दिया।
काशी शिव की नगरी है, जहां वह बाबा विश्वनाथ के रूप में नगर के राजा के तौर पर पूजे जाते हैं। यहां गंगा के तट पर पहुंचते ही भैरव बाबा के हाथ से ब्रह्माजी का शीश अलग हो गया और भैरव बाबा को ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिली। काल भैरव के पाप मुक्त होते ही वहां शिवजी प्रकट हुए और उन्होंने काल भैरव को वहीं रहकर तप करने का आदेश दिया।
6/6काल भैरव के बिना अधूरे हैं बाबा विश्वनाथ के दर्शन
शिवजी ने काल भैरव को आशीर्वाद दिया कि तुम इस नगर के कोतवाल कहलाओगे और इसी रूप में तुम्हारी युगों-युगों तक पूजा होगी। शिव प्रेरणा से जिस स्थान पर काल भैरव रह गए, बाद में वहां काल भैरव का मंदिर स्थापित कर दिया गया। काशी में मान्यता है कि भक्तों को बाबा विश्वनाथ के बाद काल भैरव के दर्शन करना अनिवार्य है। अन्यथा बाबा विश्वनाथ के दर्शन भी अधूरे मानेे जाते है। Contect-
शिवजी ने काल भैरव को आशीर्वाद दिया कि तुम इस नगर के कोतवाल कहलाओगे और इसी रूप में तुम्हारी युगों-युगों तक पूजा होगी। शिव प्रेरणा से जिस स्थान पर काल भैरव रह गए, बाद में वहां काल भैरव का मंदिर स्थापित कर दिया गया। काशी में मान्यता है कि भक्तों को बाबा विश्वनाथ के बाद काल भैरव के दर्शन करना अनिवार्य है। अन्यथा बाबा विश्वनाथ के दर्शन भी अधूरे मानेे जाते है। Contect-
No comments:
Post a Comment