Sunday, May 12, 2019

कैसे बने भैरव बाबा काशी के कोतवाल, जानिए पूरी कहानी




कैसे बने भैरव बाबा काशी के कोतवाल, जानिए पूरी कहानी

1/6काल भैरव ने काट दिया ब्रह्माजी का पांचवां मुख



काल भैरव के काशी में स्‍थापित होने के पीछे एक बहुत ही रोचक पौराण‍िक कथा है। एक बार ब्रह्माजी और विष्णुजी के बीच यह चर्चा छिड़ गई कि दोनों में बड़ा कौन है? चर्चा के बीच शिवजी का जिक्र आने पर ब्रह्माजी के पांचवें मुख ने शिव की आलोचना कर दी, जिससे शिव बहुत क्रुद्ध हुए। उसी क्षण भगवान शिव के क्रोध से काल भैरव का जन्म हुआ। इसी कारण काल भैरव को शिव का अंश कहा जाता है। काल भैरव ने शिवजी की आलोचना करनेवाले ब्रह्माजी के पांचवें मुख को अपने नाखुनों से काट दिया।

2/6भैरव को लगा ब्रह्म हत्‍या का दोष



अब यह मुख उनके हाथ से अलग नहीं हो रहा था। तभी शिवजी प्रकट हुए। उन्‍होंने भैरव से कहा कि अब तुम्‍हें ब्रह्म हत्‍या का दोष लग चुका है और इसकी सजा यह है कि तुम्‍हें एक सामान्‍य व्‍यक्ति की तरह तीनों लोकों का भ्रमण करना होगा। जिस स्‍थान पर यह शीश तुम्‍हारे हाथ से छूट जाएगा, वहीं पर तुम इस पाप से मुक्‍त हो जाओगे।

3/6ब्रह्म हत्‍या नामक कन्‍या भैरव के पीछे पड़ गई



शिवजी की आज्ञा से काल भैरव तीनों लोकों की यात्रा पर चल दिए। उनके जाते ही शिवजी की प्रेरणा से एक कन्या प्रकट हुई। एक तेजस्‍वी कन्‍या, जो अपनी लंबी जीभ से कटोरे में रक्‍तपान कर रही थी। यह कन्‍या कोई और नहीं ब्रह्म हत्‍या थी। इसे शिवजी ने भैरव के पीछे छोड़ दिया था।

4/6भैरव निकल पड़े तीनों लोक मुक्ति पाने के लिए




शिवजी के कहे अनुसार, भैरव ब्रह्म हत्‍या के दोष से मुक्ति पाने के लिए तीनों लोक की यात्रा कर रहे थे और वह कन्‍या भी उनका पीछा कर रही थी। फिर एक दिन जैसे ही भैरव बाबा ने काशी में प्रवेश किया कन्‍या पीछे छूट गई। शिवजी के आदेशानुसार काशी में इस कन्‍या का प्रवेश करना मना था।

5/6यहां छूटा भैरव के हाथ से ब्रह्म शीश




काशी शिव की नगरी है, जहां वह बाबा विश्वनाथ के रूप में नगर के राजा के तौर पर पूजे जाते हैं। यहां गंगा के तट पर पहुंचते ही भैरव बाबा के हाथ से ब्रह्माजी का शीश अलग हो गया और भैरव बाबा को ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिली। काल भैरव के पाप मुक्त होते ही वहां शिवजी प्रकट हुए और उन्होंने काल भैरव को वहीं रहकर तप करने का आदेश दिया।

6/6काल भैरव के बिना अधूरे हैं बाबा विश्‍वनाथ के दर्शन



शिवजी ने काल भैरव को आशीर्वाद दिया कि तुम इस नगर के कोतवाल कहलाओगे और इसी रूप में तुम्हारी युगों-युगों तक पूजा होगी। शिव प्रेरणा से जिस स्थान पर काल भैरव रह गए, बाद में वहां काल भैरव का मंदिर स्‍थापित कर दिया गया। काशी में मान्‍यता है कि भक्‍तों को बाबा विश्वनाथ के बाद काल भैरव के दर्शन करना अनिवार्य है। अन्‍यथा बाबा विश्वनाथ के दर्शन भी अधूरे मानेे जाते है। Contect-






No comments:

Post a Comment

Maundeshwari

मां मुंडेश्वरी धाम परिसर में आयोजित दो दिवसीय मुंडेश्वरी महोत्सव का भव्य आगाज रविवार की शाम होगा।...  मां मुंडेश्वरी धाम परिसर में आयोजित...