Monday, May 13, 2019

कर्म_ही_दौलत_से_बड़े_हैं। Pravachan

-- #कर्म_ही_दौलत_से_बड़े_हैं ------
Edited by-आदर्श पांडेय शिवम्

एक बार कर्म और दौलत में बहस हो गई।

दौलत कहती है- मैं बड़ी हूं और किसी को भी‌ कुछ भी बना सकती हूं।

कर्म कहता है- मेरे बिना दौलत किसी भी काम की नहीं है।

दौलत कहती है- चलो! देखते हैं कि कौन बड़ा है।

कर्म भी मान गया और दोनों चल पड़े।

जंगल में एक बहुत ही गरीब आदमी लकड़ी काट रहा था।
दौलत उसके पास गई और एक थैली सोने की मोहरों की उस गरीब आदमी को दी और चली गई।

वो गरीब आदमी बहुत ही खुश हुआ और अपने‌ घर को‌ चल पड़ा।
घर पहुंचा तो घर के गेट का दरवाजा बंद था।
उसने वो थैली दीवार पर रखी और दरवाजा खोलने लगा।
दरवाजा खुलते ही वो अन्दर चला गया और‌ मोहरों की थैली दीवार पर ही भूल गया।

वो मोहरें पड़ोसी ने उठा लीं।

अगले दिन फिर वो गरीब आदमी लकड़ी काटने चला‌ गया।
दौलत फिर उसके पास गई और उसको एक हीरा दिया और चली गई।
उसने हीरा जेब में डाला और चल पड़ा।
रास्ते में उसको बहुत प्यास लगी।
वो एक झरने के किनारे बैठकर पानी पीने लगा,
तो हीरा जेब से निकल कर झरने मे गिर गया और एक मछली के पेट में चला गया।
वो आदमी उदास होकर घर चला गया।

अगले दिन फिर वो लकड़ी काटने चला गया।

अब कर्म ने दौलत से कहा- तुमने दो बार कोशिश की है और अब मैं कोशिश करता हूं।
देखना! कैसे इसके नसीब खुलते हैं।

कर्म ने उस गरीब आदमी को दो पैसे दिए और चला गया।

वो गरीब आदमी बहुत ही खुश हुआ और अपने घर को चल पड़ा।
रास्ते में वो सोचता है कि दाल से तो रोटी रोज‌ ही खाते हैं,
आज मछली से खाते हैं।
उसने बाजार से एक मछली खरीदी और घर जाकर जब मछली काटी तो उसमें से वही हीरा‌ निकला।
हीरा देखकर वो बहुत ही खुश हुआ और चिल्लाने लगा- मिल गया! मिल गया।

उधर उसके पड़ोसी ने सुना और सोचा कि इसे पता चल गया है कि वो मोहरों की थैली मेरे पास‌ है।
उसने फटाफट वो थैली उस आदमी के घर फैंक‌ दी।

अब उस गरीब आदमी को वो थैली भी मिल गई।
वो बहुत ही खुश हुआ और परमात्मा का शुक्र किया।

कर्म जीत गया और दौलत हार गई।

सो हमें भी हमेशा अच्छे कर्म ही करने चाहिए.......
🙏जय🙏श्री राम जय🙏जरंग बल🙏


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